29 जुलाई 2012

सावन की तीज


सावन 


सावन में पेड़ों तले झूल रही गोरियां 
टप-टप-टप टपक रही पीली निबौरियां .

मेहंदी युक्त हाथों में चूड़ियाँ खनक रही.
सज-संवर के घूम रही गाँव की ये छोरियां .

तीज के त्यौहार की उमंग में, उल्लास में. 
बूढ़ियाँ क्या युवतियाँ, सब हो रही है बौरियाँ.

चाव से लगी हैं बहनें राखियाँ बनाने में.
भाई की कलाई हित बुन रही है डोरियाँ.

धरती माँ के हरियाले आँचल तले.
सद्य-जात धान को मिल रही हैं लोरियां.

घर घर में पकते हैं खूब पकवान रे
खीर, मालपूए और  खस्ता कचौड़ियां.
                               --   डॉ. पूनम गुप्त

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