13 जुलाई 2014

हाय गर्मी

त्राहि- त्राहि हो रही चहुं ओर धूप से.
व्याकुल हो रहे प्राणी दिखते हैं विद्रूप से.

पंछी चोंचें खोल खोल पानी को चाहें.
गर्मी से हो त्रस्त सभी भरते हैं आहें.

मारे प्यास गर्मी के बच्चे हैं बेहाल.
कब होगी वर्षा होंठों पर यही सवाल.

कृपा आपकी होगी प्रभु तो मिलेगी राहत.
क्या राजा क्या रंक सभी को एक ही चाहत.

सबकी सुनो पुकार प्रभु न देर लगाओ.
कुछ पल के लिए ही सही प्रभु बादल बरसाओ.