9 मार्च 2017

माँ

            (1)  

माँ बच्चे के रिश्ते से बढ़
रिश्ता बन न पाया।
माँ की गोद में स्वर्ग का सुख है,
माँ ईश्वर की छाया।

जब तक बच्चा भूखा हो
माँ अपना पेट न भरती।
खुद गीले पर सो लेती,
बच्चा सूखे पर करती।

बच्चे की हर गलती को
माँ अनदेखा कर देती है,
उसके दुख को सह पाती न,
ओर आँखें भर लेती है।

हर इक बच्चे के संग-संग जब
ईश्वर जा न पाया।
माँ का रूप धरा उसने तब,
और दुनिया में आया।।

              (2)

गुनगुनी सी धूप है माँ
ईश्वर का रूप है माँ।

मीठी सी लोरी है
खुशियों की तिजोरी है।

ममता की मूरत मां
हर वक्त की जरूरत मां।

टूटे दिल की आस है माँ
मन का विश्वास है माँ।
इसीलिए तो खास है माँ।।

हाँ! इसीलिए तो खास है माँ।।

डॉ. पूनम गुप्त

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